सक्सेसफुल स्कूल्स, ऑनलाइन मार्केटिंग का तरीक़ा अपना रहे हैं। जानिए आख़िर क्यों?

अगर आप अभी भी अख़बार, पैम्फ़लेट के जरिये अपने स्कूल का प्रचार कर रहे हैं तो ये आर्टिकल आपके लिये है।

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्मार्टफ़ोन यूज़र्स की संख्या लगातार बढ़ रही है।

दूसरी तरफ़, आज के समय में लोग अख़बार पढ़ने से ज़्यादा मोबाइल पर खबर देखने के साथ सोशल मीडिया पर ज़्यादा समय दे रहे हैं।

ऐसे समय में अगर आप अपनी स्कूल का प्रचार अख़बार, होर्डिंग और पम्फ़्लेट के ज़रिए कर रहे हैं तो जरा रुकिये।

आज के समय में अधिकतर लोग अपने बिज़नेस की मार्केटिंग ऑनलाइन तरीक़े से कर रहे हैं और ज़्यादा संभावना ये भी है कि आपके कम्पीटीटर्स, मार्केटिंग के इस नये तरीक़े को अपनाने वाले हों।

लिहाज़ा अगर आपको अपने कम्पीटीटर्स से हमेशा आगे रहना है तो ये तरीक़ा पहले ही अपना लेना होगा।

सवाल उठता है कि आख़िर आपको अपने स्कूल के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग का तरीक़ा क्यों अपनाना चाहिए?

ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँच

ऑनलाइन मार्केटिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि आप अपने स्कूल, इसकी ख़ासियत और सुविधाओं के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बता सकते हैं। वो भी कम से कम समय में। जबकि अख़बार, पैम्फ़लेट होर्डिंग्स की तैयारियों में समय लगता है।

ख़ास तरह के लोगों तक पहुँच 

ऑनलाइन मार्केटिंग की मदद से आप अपने आइडियल पैरेंट्स को टारगेट कर सकते हैं क्योंकि इसमें टार्गेटिंग (targeting) के बहुत डिटेल ऑप्शन मिलते हैं।

उदाहरण के लिए अगर आप प्ले-स्कूल चला रहे हैं तो आप अपने शहर के उन पैरेंट्स को टारगेट कर सकते हैं जिनके बच्चों की उम्र 2 से 4 साल के बीच है। इसी तरह अगर आप अपने सर्वसुविधा युक्त स्कूल में नया एडमिशन चाहते हैं तो आप हायर इनकम वाले उन पैरेंट्स को टारगेट कर सकते हैं जिनके बच्चों की उम्र 5 से 17 साल के बीच है। ये एड केवल इन्हीं लोगों को ही दिखेगा।

ट्रेडिशनल मार्केटिंग की तुलना में क़ीमत कम

ट्रेडिशनल मार्केटिंग जैसे टीवी एड, प्रिंट एड (अख़बार, पैम्फ़लेट इत्यादि) और होर्डिंग्स (बिलबोर्ड) में प्रचार कराना महँगा होता है। उदाहरण के लिए एक अच्छे अख़बार में एड देने की क़ीमत Rs.250 प्रति स्क्वायर सेंटीमीटर के हिसाब से (8×10 सेंटीमीटर के) एड की क़ीमत Rs21000/- प्रति दिन होती है। यानी महीने का क़रीब 6 लाख। जबकि ऑनलाइन मार्केटिंग इससे एक तिहाई क़ीमत किया जा सकता है यहाँ तक कि Rs500/- के डेली बजट से भी शुरू किया जा सकता है।

इसके अलावा ट्रेडिशनल मार्केटिंग में हमें ये पता नहीं चलता कि हमारे एड को कितने लोगो ने देखा, जिन्होंने देखा उन्होंने क्या एक्शन लिया।

ऑनलाइन मार्केटिंग में हमें ये पता चलता है कि कितने लोगों ने इसे देखा और अगर देखा तो कितने लोगों ने एक्शन लिया। इसमें बजट के अनुसार खर्च करने, ख़ास लोगों टारगेट करने और रिज़ल्ट्स को ट्रैक करने की सुविधा है। ये डेटा पर आधारित मार्केटिंग होती है न कि तुक्के (अंदाज़ा) पर आधारित।

ऑनलाइन मार्केटिंग में जिन लोगों ने हमारे एड पर एक्शन लिया (स्कूल में एडमिशन लिया या पूछताछ की) उन्हें फिर से टारगेट करके समर कैम्प के एड दिखा सकते हैं और स्कूल की रेगुलर एक्टिविट्स में इनवॉल्व रख सकते हैं।

ब्रांड विसिबिलिटी और विश्वसनीयता 

आज की डिजिटल दुनिया में आपके स्कूल की ऑनलाइन मौजूदगी बहुत महत्वपूर्ण है। ये ऑनलाइन मौजूदगी आप वेबसाइट, सोशल मीडिया इत्यादि के ज़रिए दर्ज कराते हैं। इससे आप अपने स्कूल की ख़ासियत और सुविधाओं को ज़रूरतमंद लोगों को ही दिखा सकते हैं।

जब ये ख़ासियत और सुविधायें लोगों को ऑनलाइन दिखती हैं तो आपके पैरेंट्स/ स्टूडेंट्स इसमें रिव्यू भी सबमिट कर सकते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा रिव्यू आपके स्कूल की विश्वसनीयता को बढ़ाती है।

पैरेंट्स/ स्टूडेंट्स के साथ कनेक्शन

ऑनलाइन मार्केटिंग का मक़सद केवल लोगों को एड दिखा कर उन्हें एडमिशन देना नहीं है – यह आपके पैरेंट्स (या स्टूडेंट्स) और दूसरे लोगों के साथ रिलेशनशिप भी है। आप लोगों से कनेक्ट रह कर उनसे संवाद करते हैं, उनकी राय जानते हैं। इस तरह आप अपने स्कूल का फीडबैक पाते हैं।

इस फ़ीडबैक के अनुसार आप अपने स्कूल को बढ़ाने की स्ट्रैटेजी तैयार कर सकते हैं।

ऑनलाइन मार्केटिंग के तमाम तरीक़े 

  • सोशल मीडिया मार्केटिंग– फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम में एड करना।
  • सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन– अपनी वेबसाइट को गूगल में रैंक करना ।
  • कंटेंट मार्केटिंग– ऑडियो, वीडियो और टेक्स्ट (आर्टिकल) को तमाम प्लेटफ़ार्म पर पब्लिश करना।
  • एस एम एस / व्हाट्सएप मार्केटिंग– लोगों को पर्सनालाइज्ड मैसेज भेजना।

अगर आप अपने स्कूल की ऑनलाइन मार्केटिंग कराना चाहते हैं तो आप हमसे इस बारे में फ्री चर्चा कर सकते हैं।